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Wednesday, October 20, 2010

साक्षी भाव

कुछ वर्षो पहले मेरी मुलाकात ऐसे सन्यासी से हुई जो ३५ वर्ष से भी अधिक समय से सन्यासी  था. और इश्वर की कृपा से मुझे उन  से चर्चा का सौभाग्य प्राप्त हुआ . बहुत कुरेदने पर उन्हों ने  ३५ वर्ष का अनुभव साक्षी भाव बताया .जो मुझे समझने में काफी  दिन लग  गए . काफी मनन के बाद जो मैं समझा वो मैं संछेप में आप के सामने रख रहा हू .आप  की राय भी जानना चाहूँगा .
                                                            साक्षी भाव 
हम हर पल कुछ न कुछ कर्म करते है और एक किया गया कर्म   दूसरे कर्म का कारण होता है . दूसरा कर्म तीसरे का कारण है और इस प्रकार ये कार्य कारण की अनन्त श्रंखला चलती  ही  रहती है .और इस श्रंखला के कारण मनुष्य बार बार जन्म लेता है .अब प्रश्न ये है की इस से बहार निकले का उपाय क्या है .क्यों की कर्म तो हम चाहे या न चाहे वो तो हमसे होते ही रहेंगे  कर्महीन होना असंभव  है .
इस का जवाब सिर्फ गीता में ही है और कही  भी नही है .गीता में भगबान श्री कृष्ण  कहते है की   


युक्तः कर्मफलं त्यक्त्वा शान्तिमाप्नोति नैष्ठिकीम्।
अयुक्तः कामकारेण फले सक्तो निबध्यते॥५- १२॥


कर्म के फल का त्याग करने की भावना से युक्त होकर, योगी परम
शान्ति पाता है। लेकिन जो ऍसे युक्त नहीं है, इच्छा पूर्ति के लिये
कर्म के फल से जुड़े होने के कारण वो बँध जाता है॥


 भगवान श्री कृष्ण स्पष्ट रूप से कह रहे है की कर करो फल की इच्छा मत करो .जिसे ऐसा न किया वह निश्चित  ही अच्छा  या बुरा जैसा भी कर्म किया है उस की जिम्मेदारी खुद  लेकर उस का फल भोगने को तैयार है ऐसा समझना चाहिए .
इसी लिए किसी ने सही ही कहा है की सारे दुःख का कारण अपेक्षा है .
साक्षी भाव का मूल है कर्मो में निर्लिप्तता  
                                                        साक्षी भाव विधि 
पिछली पोस्ट में हमने समाधी की चर्चा की थी .पर इस  ८  चरण की विधि तो योगी ही कर  सकते  है . यह पर तो  सुरुआत के ही चरण  मुश्किल लगते है और प्रत्याहार  तक आम व्यक्ति (मैं भी )  संघर्ष ही करता रह   जाता है. प्र्तायाहर का अर्थ है इंद्रियों द्वारा .विषयों का परित्याग .जिस प्रकार हम भोजन लेते है उसी प्रकार हम इंद्रियों से विषय ग्रहण करते है  . इंद्रियों द्वारा सात्विक तत्व ग्रहण कर तामसी वृत्तियों  का  परित्याग ही प्रत्याहार है .
                                                                 इस विधि में हम द्रष्टा होते है स्वयं के 
हम जो भी कर्म करते है वो लिप्त हो कर करते है .उद्दहरण के लिए जब आप  कोई स्वादिष्ट चीज खाते है तो स्वाद का पूरा आनंद लेते है . इसी प्रकार यदि क्रोध या काम  व्यक्ति    लिप्त हो कर  करता है .
जब हम कोई कर्म करे जो अपने ही साक्षी  हो कर ये देखे की ये कौन है जो  यह कर रहा है .जब हम स्वाद ले , क्रोध या काम  में , अन्य विविध कर्मो  में  कर्म करने वाला  अर्थात वह खुद  क्या अनुभव कर रहा है   साक्षी हो कर .ये अनुभव करते  वक्त आप अपने को (द्रष्टा ) अपने अस्तित्व से अलग रक्खे . 
मेरी ये बात शायद कुछ लोगो  को  समझ में न आये पर मनन कीजिये आप स्वयं समझ  जायेंगे .
ये ठीक उसी प्रकार  है  जैसे आप कोई अपनी ही फिल्म देख रहे हो  और वो भी लाइव.
इस  का विचार शुन्यता से गहरा नाता है . इस के चमत्कारिक प्रभाव और उपयोगिता की चर्चा हम अपनी अगली पोस्ट में करेंगे .


   

26 comments:

ZEAL said...

.

हम द्रष्टा होते है स्वयं के ...

I fully agree with you.

.

हिंदुत्व और राष्ट्रवाद said...

इस्लाम धर्मं की हैवानियत यहाँ भी देख लीजिये अभिषेक भाई."


http://hinduraaj.blogspot.com/2010/10/roja-iftaar-dawat-in-saudi-arabia.html

well wisher said...

good post

well wisher said...

gr8

Anonymous said...

इस्लाम में बलात्कार की सजा के आदेश है बलात्कार करने का आदेश नहीं !

ABHISHEK MISHRA said...

@ym जी
क्यों कोरा झूठ बोलते है ,अगर कुरान बलात्कार का आदेश नही देती है तो सूरए निशा की आयत २४ का क्या अर्थ है ??????????
हवा में बात करने से बात सच नही हो जाती है . अगर आप ने न पढ़ी हो तो मैं बताऊ क्या ?

Anonymous said...

बताओ ?

Anonymous said...

क्म्मेंट्स में वर्ड वेरिफिकेशन हटा कर पॉप स्टाइल लगाए तो क्म्मेंट्स देने में आसानी होगी !

ABHISHEK MISHRA said...

सूरए निशा की आयत २४
और शौहरदार औरते मगर वह औरते जो (जेहाद में कुफ्फार से )तुम्हारे कब्जे में आजाये हराम नही (ये) खुदा का तहरीरी हुक्म( है जो) तुम पर फर्ज किया गया है

Anonymous said...

पूरी आयत लिखते ! आधी क्यों लिखी ?

जिस तरह आपने लिखी उसके अनुसार कोई इस को अमल में लाने के बात करे तो भारत का अमेरिका का यूरोप का कोई मुसलमान जिहाद का नाम लेकर औरतो को अपने कब्जे में ले ले और व्यभिचार करे !

लेकिन आप देखते है कि ऐसा तो कही नहीं हो रहा ! यहाँ तक अरब में भी नहीं !

Anonymous said...

अभिषेक जी देखा आपने कटुओं को

अनवर जमाल राम का इस्लामीकरण कर गुणगान कर रहा है

दूसरा एजाज उल हक राम कृष्ण का कम्पयेर कर रहा था।

अब अपनी औकात मे आ गये। गिरगिट भी इतनी जल्दी रंग

नही बदलता है।

मुहम्मद की कापी हैं ये

ABHISHEK MISHRA said...

आयत खुद सच्चाई बयां कर रही है . ये आयत क्या कह रही है ये भी तो बताईये ?
आप से झूठ की ही उम्मीद थी . आप कह रहे है ऐसा कही नही होता . यही यो आयत है जिस का सहारा ले कर लाखो निर्दोष स्त्रियों का सतीत्व भंग किया गया . सुन्नी मुफ्ती इस की यही व्याख्या करते है जो लिखा है . इतिहास गवाह है इन्ही शैतानी आयातों का हवाले दे कर ये घिनौने कुकर्म जायज कर दिए . जिन्दा रहे तो मौज है ही और जेहाद में मर गए तो ७२ हुरे और गिलमा के साथ मौज .
आज भी ये सब बदस्तूर जारी है . ये मुस्लिम दंगा भड़का कर मौका पाते ही लडकियों का अपहरण कर लेते है . अभी बरेली में मुस्लिमो द्वारा किये गए दंगो अधिकारिक तौर पर ४ हिन्दू
लड़किया लापता है जब की वास्तविक संख्या इस से कई गुना है .
सुन्नियो ने इस्लाम की लुटिया डुबोने में कोई कसर नही रक्खी है

Anonymous said...

चूँकि आपको झूठा इल्जाम लगाने के शायद आदत पड़ चुकी है इसलिए आपको झूट ही नजर आएगा !

पहले तो आप कुरआन की आयत पर अटके हुए थे अब थोडा आगे बड़े तो आपके जवाब से आपकी समझ का अंदाजा हो गया ! वो ही सोच जो मिडिया ने प्रसारित की हुई है !

कुरआन समझने में आसान है लेकिन कभी कभी बड़े बड़े ज्ञानी इसमें उलझ जाते है ! इसलिए कुरआन एक ऐसा ज्ञान है जिसमे व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, मनोवैज्ञानिक, आदि विषयों को समवेश है ! और हर ज्ञान सीखने के अपने नियम होते है ! कुरआन कि किसी बात को समझने के लिए कभी विषय विशेष तो कभी पूरी कुरआन का सार तो कभी समाज का सार, भूतकाल स्थिति, वर्तमान समय आदि आदि देखा जाता है !

जो आयत आपने प्रस्तुत की है इस आयत को ऐसे काट छांट कर किसी इस्लामी आलिम, स्कॉलर ने इस पर राय नहीं दी है ! इस आयत के विवरण के लिए इस से जुडी अन्य आयत एवं सम्भंदित विषय (जैसे इस्लाम में औरत का स्थान, इस्लाम में परिवार कि स्थपना के नियम एवं पारिवारिक नियम, इस्लाम और सामाजिक समस्या का निराकरण आदि) विषय आदि का अध्यन के पश्चात समय के अनुसार कोई राय देता है !

कुरआन में ऐसे बहुत सी आयते है जिनका केवल एतिहासिक महत्व है उनपर आज के समय अमल नहीं किया जा सकता है !

जैसे सुराह तौबा की कुछ आयते !

कुछ ऐसी भी जो केवल समझाने के लिए है उसपर कोई कानून ही नहीं बनया जा सकता है !

जैसे सब्र करो ! अब सब्र करने पर कोई कानून बन सकता है क्या ?

ये तो केवल नसीहत ही हो सकती है !

खुले दिमाग से समझने की कोशिश करेंगे तो इंशा अल्लाह समझ आ जायेगी !

ABHISHEK MISHRA said...

मैं तो खुले दिमाग से ही बात कर रहा हू पर आप इस्लामिक हरा चश्मा आँखों से उतारे तो सच्चाई आप को खुद ही दिख जायेजी. आप की समझ आप के जवाब से दिख गयी . क्या आप को नही पता की कुरान के बारे में इस्लामिक विद्वान् दावा करते है की जो बात १४०० वर्ष पहले कुरान में लागु होती थी वह आज भी लागू होती है . ये आसमानी किताब क़यामत तक सत्य है . तो फिर ये आयते सिर्फ एतिहासिक महत्त्व की कैसे हो सकती है.
साफ साफ लिखा है और आप भ्रमित करने की कोशिश न करे .

Anonymous said...

या तो आप समझने में गलती कर रहे है या फिर कोई मुस्लिम स्कॉलर, आलिम !

क्योकि मेरी जानकारी में ऐसा कोई फतवा भी किसी आलिम ने नहीं दिया है कि कुरआन की हर आयत हर समय लागू की जा सकती है !

अगर किसी ने ऐसा कहा है तो मुझे बताये !

ABHISHEK MISHRA said...

सदियों से ये दावा मुस्लिम करते आये है की कुरान ही सत्य है . हर युग और हर समय के लिए ,इस के लिए क्या किसी फतवे की जरुरत है ?????????????
विकिपीडिया - कुरान
''क़ुरान के दावे के अनुसार वह ‎पूरी धरती के मनुष्यों के लिए और शेष समय के लिए है, किन्तु उसके ‎संबोधित उस समय के अरब दिखाई देते हैं। सरसरी तौर पर यही लगता है ‎कि क़ुरान उस समय के अरबों के लिए ही अवतरित किया गया था किन्तु ‎आप जब भी किसी ऐसे स्थान पर पहुंचें जब यह लगे कि यह बात केवल ‎एक विशेष काल तथा देश के लिए है, तब वहां रूक कर विचार करें या इसे ‎नोट करके बाद में इस पर विचार करें तो आप को हर बार लगेगा कि ‎मनुष्य हर युग और हर भू भाग का एक है और उस पर वह बात ठीक वैसी ‎ही लागू होती है, जैसी उस समय के अरबों पर लागू होती थी।''

तो फिर ये आयते सिर्फ एतिहासिक महत्त्व की कैसे हो सकती है.??????????????????
सत्य आप की कुरान की सूरए निशा की आयत २४ के रूप में सामने है .
अपनी बात शालीनता से रखने के लिए आप का धन्यवाद वर्ना मुस्लिम ब्लोगर दूसरे नाम से गाली गलौज पर आ जाते है

ABHISHEK MISHRA said...
This comment has been removed by the author.
ABHISHEK MISHRA said...

कुरान की शिक्षा क्या कहती है गौर मुस्लिम लडकियों के बारे में नीचे दिया लिंक देखे ,आज भी वही मानसिकता है जो १४०० वर्ष पहले थी
www.vicharmimansa.com/2010/10/हिन्दू-महिलाओं-को-ज़बरन-म/

Anonymous said...

बेशक कुरआन कयामत तक के लिए और हर जगह के लिए है ! लेकिन इसमें सिर्फ कानून ही तो नहीं और भी बहुत कुछ है ! अब ये तो लेने वाले पर निर्भर है की वो क्या लेता है !

जैसे मिसाल के तौर पर गाँधी जी का अहिंसा का सिद्धांत !

क्या ये सिर्फ भारत के लिए है ?

क्या ये सिर्फ अंग्रेजो के जमाने तक के लिए था ?

जवाब नहीं में ही है !

लेकिन अंग्रेजो के समय में जिस तरह ये सिद्धांत लागू किये गए, अपनाये गए वैसे की वैसे आज भारत में ही नहीं अमेरका या यूरोप में भी अप्प्लाय नहीं किये जा सकते !
जैसे नमक तोडो आंदोलन की आज क्या जरुरत ? चरखा उधोग आंदोलन आज के समय कैसे संभव है ?

कुरआन की सुराह: रूम 30 आयात 2 शुरू के दो लाइन में कुछ कहा जा रहा है, ये उस समय रूम राज्य की पराजय फिर और जीतने की बात है, अब आप बताए की इसे कैसे लागु किया जायेगा ? क्या रूम राज्य जाया जाए और कहा जाए आप हारने वाले और फिर जीतने वाले हो क्योकि कुरआन में कहा है !

ये उस समय के लिए भविष्यवाणी थी और आज एक नसीहत है कि कौन हारने वाला है कौन जीतने वाला, किसे गलबा हासिल होगा किसे नहीं ये सब अल्लाह को मालूम है ! ताकि लोग अल्लाह पर पूर्ण विशवास करे और जो विशवास करते है उनके विशवास और गहरा हो !

ये सिर्फ मैंने एक उदहारण दिया है, ऐसे कई उदहारण दिए जा सकते है !

जो लिंक आपने दिया ऐसे लिंक्स की इन्टरनेट पर कमी नहीं है सेकडो या हजारों में नहीं बल्कि लाखो करोडओ है !

और इससे सम्भंदित एक खबर में चौकाने तथ्य सामने आये है की इस समय इस्लाम के खिलाफ वेबसाईट बनाना फैशन है इसलिए इस से जुड़े डोमेन अधिक से अधिक बिके और वेब सर्वर बने जिससे बिल्लियन्न डालर्स का बिजनेस मिले और मिल ही रहा है !

एक प्रकार से लोगो के वर्तमान भावनाओं को भुनाने का वो ही पूंजीपतियों का खेल है जो हर बिजनेस में खेला जाता है !

ABHISHEK MISHRA said...

दिया गया लिंक तो सिर्फ उद्दहरण था ऐसे हजारो फतवे आज भी भारत में दिए जाते है .आप सच्चाई को अनदेखा मत करे .
आप ने कहा आज के ज़माने में ऐसा नही होता और मैंने एक छोटा सा उद्दहरण दिया जो आप को नही पचा .
वास्तविक समस्या यही है की समझदार मुस्लिम (जरुरी नही की पढ़े लिखे ही हो ) १ % से भी कम है और १४०० साल पुरानी मानसिकता के ९९ % से भी अधिक .
मुस्लिमो के ५ प्रमुख कर्तव्यों में एक इस्लाम का प्रसार भी है . इतिहास गवाह है की मुस्लिमो ने इस के लिए अत्यधिक रक्तपात किया . कई देशो की संसकृति जड़ से ही नष्ट कर दी . पाकिस्तान हमारा वो भू भाग है जिसने अपनी संस्कृतिक विरासत खो दी .
आप सच पर कितना ही पर्दा डाले पर वो अब छुप नही सकता .
अधिकतर मुस्लिम कितने असहिष्णु है इस से ही पर चलता है पाकिस्तान में बचे १०% हिन्दू लील गए और हमारा मंदिर तोड़ कर बनाये गए ढांचे की जगह पर दावा कर रहे है .क्या आप काबा में एक छोटा सा मंदिर बनवा सकते है . बनवाना तो दूर गैर मुस्लिम वहा जा तक नही सकते ,
जब तक अल्पसंख्यक है तब तक ही धर्मनिरपेक्ष है जैसे ही बहुसंख्यक हुए सरियत के हिसाब से ,
कश्मीर और अब असम इस का उद्दहरण है .
लोगो में जागरूपता आ रही है और आप ने अपनी टिप्पड़ी में ये बात स्पष्ट भी कर दी है .
इस के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद

Anonymous said...

बाइबिल में रसूल (स.अ.) को देखना है तो ये पढो :
http://islamworld.net/docs/Muhammad.in.Bible.html

इम्पेक्ट तुमने कल लिंक दिया था
बाइबल मे व्यवस्थाविवरण 18:18 के अन्दर मुहम्मद स. के बारे
मे लिखा है। मैने कल से आज तक पूरा व्यवस्थाविवरण पढ़ा।
मुहम्मद को तो इसके विपरीत पूरा उल्टा है।

सो मैं उनके लिये उनके भाइयों के बीच में से तेरे समान एक नबी को उत्पन्न करूंगा; और अपना वचन उसके मुंह में डालूंगा; और जिस जिस बात की मैं उसे आज्ञा दूंगा वही वह उनको कह सुनाएगा।
और जो मनुष्य मेरे वह वचन जो वह मेरे नाम से कहेगा ग्रहण न करेगा, तो मैं उसका हिसाब उस से लूंगा।

////////////////////////////////////////////////////////////////////

परन्तु जो नबी अभिमान करके मेरे नाम से कोई ऐसा वचन कहे जिसकी आज्ञा मैं ने उसे न दी हो, वा पराए देवताओं के नाम से कुछ कहे, वह नबी मार डाला जाए।

///////////////////////////////////

और यदि तू अपने मन में कहे, कि जो वचन यहोवा ने नहीं कहा उसको हम किस रीति से पहिचानें?तो पहिचान यह है कि जब कोई नबी यहोवा के नाम से कुछ कहे; तब यदि वह वचन न घटे और पूरा न हो जाए, तो वह वचन यहोवा का कहा हुआ नहीं; परन्तु उस नबी ने वह बात अभियान करके कही है, तू उस से भय न खाना।। व्यवस्थाविवरण 18:22

Anonymous said...

////////////////////////////////////
यदि कोई पुरूष दूसरे पुरूष की ब्याही हुई स्त्री के संग सोता हुआ पकड़ा जाए, तो जो पुरूष उस स्त्री के संग सोया हो वह और वह स्त्री दोनों मार डालें जाएं; इस प्रकार तू ऐसी बुराई को इसराइल में से दूर करना।। Deuteronomy 22:22

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कोई अपनी सौतेली माता को अपनी स्त्री न बनाए, वह अपने पिता का ओढ़ना न उघारे।।Deuteronomy 22:30

और इस को स्मरण रखना कि तू मि में दास था, और तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे वहां से छुड़ा लाया है; इस कारण मैं तुझे यह आज्ञा देता हूं।।Deuteronomy 24:18

शापित हो वह जो किसी प्रकार के पशु से कुकर्म करे। तब सब लोग कहें, आमीन।।Deuteronomy 27:21

इसलिये अपने परमेश्वर यहोवा की बात मानना, और उसकी जो जो आज्ञा और विधि मैं आज तुझे सुनाता हूं उनका पालन करना। Deuteronomy 27:10

शापित हो वह जो किसी दूसरे के सिवाने को हटाए। तब सब लोग कहें, आमीन।।Deuteronomy 27:17

शापित हो वह जो अन्धे को मार्ग से भटका दे। तब सब लोग कहें,आमीन।।Deuteronomy27:18

शापित हो वह जो परेदशी, अनाथ, वा विधवा का न्याय बिगाड़े। तब सब लोग कहें आमीन।।27:19

शापित हो वह जो अपनी सौतेली माता से कुकर्म करे, क्योंिक वह अपने पिता का ओढ़ना उघारता है। तब सब लोग कहें, आमीन।।Deuteronomy 27:20
शापित हो वह जो किसी प्रकार के पशु से कुकर्म करे। तब सब लोग कहें, आमीन।।Deuteronomy 27:21

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शापित हो वह जो अपनी बहिन, चाहे सगी हो चाहे सौतेली, उस से कुकर्म करे। तब सब लोग कहें, आमीन।।Deuteronomy 27:22

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शापित हो वह जो अपनी सास के संग कुकर्म करे। तब सब लोग कहें, आमीन।।Deuteronomy 27:23

शापित हो वह जो किसी को छिपकर मारे। तब सब लोग कहें, आमीन।।Deuteronomy 27:24

शापित हो वह जो निर्दोष जन के मार डालने के लिये धन ले। तब सब लोग कहें, आमीन।।Deuteronomy 27:25

शापित हो वह जो इस व्यवस्था के वचनों को मानकर पूरा न करे। तब सब लोग कहें, आमीन।।Deuteronomy 27:26

इम्पेक्ट ये क्या लिखा है इससे तो मुहम्मद श्रापित हो गया

अब क्या करोगे

Anonymous said...

इम्पेक्ट

बाइबल व्यवस्थाविवरण यानी शरियत जिससे तुम लोग अंजान हो

लिंक देख लो। पूरा पढ़ना फिर मुहम्मद को साबित करो।

http://hindibible.com/Hindi-KJV-Bible.html?ver=Hindi&ver1=kjv&Book=5&Chapter=1&lVerseRange=1&hVerseRange=68&hindiBib=Submit&book1=5&chapter1=28


जय हिन्द - वन्दे मांतरं

Anonymous said...

आप ने तो अपने मन का पूरा गुस्सा, गुबार निकाल दिया और इतनी बाते एक साथ बतायी ! इन बातो में तो 99 % इस्लाम से ताल्लुक नहीं रखती है लेकिन चूँकि हर बात में किसी मुस्लिम का नाम नजर आता है तो अपने आप लोग उसे इस्लाम से जोड़ देते है !

मैंने ये पहेले कहा है की हर व्यक्ति किसी न किसी का हर प्रतिनिधित्व करता है और उसके एक कर्म से पूरा समाज, शहर, देश बदनाम हो जाता है ! अब मुस्लिम समाज में आज के समय कई खराबियां मौजूद है जिसका कोई ताल्लुक इस्लाम से नहीं है ! इतनी खराबियाँ समाज में पैदा हो जाए तो उस खराबियों को मानने वाले की तादाद भी बहुत होगी ! जहां एक व्यक्ति से पूरा समाज बदनाम हो सकता है वहाँ इतनी तादाद में बुराइयां करने वालो से तो समाज का असली अस्तिव्त खतरे में पड़ सकता है और ये एक सच्चाई है जो मुस्लिम समाज के साथ घट रही है ! इससे मुंह नहीं मोड़ा जा सकता ! इसे में वक्त वक्त पर लोगो को अपने अनुसार आगाह भी करता रहता हूँ !

लेकिन इसके समानांतर दूसरे राज्य, धर्म, शहर आदि में भी ये सब घट रहा है उसे आप आसानी से हजम क्यों कर रहे है ? ये बात मुझे हजम नहीं हुए क्योकि आपने ही अपने बारे में लिखा है कि आपको झूट बर्दाश्तनही और बड़े दावे से लिखा है कि सच से आप डरते नही!

कश्मीर में कुछ हो रहा है तो मराठी गैर मराठी के नाम पर महाराष्ट्र में भी बहुत कुछ कर रहा है, पंजाब आतंकवाद को झेल चुका है, लिट्टे ने बहुत कुछ किया है भारत में , माओवादी खुनी खेल खेल रहे है ! उनका नाम क्यों नहीं लिया ? मालेगांव, अजमेर ब्लास्ट के आरोपियों का आपने जिक्र क्यों नहीं क्या ? क्या आपकी नजर में देश भक्ति वाले काम थे ? क्या आप उन्हें देशभक्त कहते है ? उनके कार्यों को देशभक्ति चोला पहनाना पसंद करेंगे ?

Anonymous said...

मुंबई पर हमले के बाद भारतीये मुस्लिम समाज की तरफ से कड़ी पर्तिक्रिया हुई थी वो आपने नहीं बतायी न ही मिडिया में उसे इतना भाव दिया गया ? कसाब अफजल कि फांसी के समर्थन में कई रलियाँ आयोजित हो चुकी है और मुस्लिम उलेमा और समाज कि तरफ से भी मांग उठाई जा चुकी है लेकिन आप लोगो ने और मिडिया ने उस पर तवज्जो ही नही दी ! मिडिया में फतवों कि चटपटी खबरे ही छपी नजर आती है !

खैर आपकी बातो से आपके ब्लॉग से ये जाहिर हो चुका है की आपका मकसद भारत को धर्मनिरपेक्ष से हिंदू रास्ट्र में बदलना है, जैसा कि मोहन भागवत ने भी कहा है की भारत को कुछ सालो में हिंदूरास्ट्र बना लेंगे ! इस प्रकिया में आप का प्रथम उद्देश्य मुसलमानों को बदनाम करना, इस्लाम को बदनाम करना है क्योकि आप लोग मुल्मानो को हिन्दुरास्त्र बनाने में सबसे बड़ा रोड़ा समझते है और इसके लिए आप लोग घिनौना खेल रहे है ! जो यहाँ ब्लॉग जगत में भी नजर आ रहा है !

उम्मीद है सच को स्वीकार करेंगे !

आपने अपना जो समय और ऊर्जा मेरे साथ चर्चा करने में व्यतीत की उसके लिए आपका शुकिया !

Anonymous said...

इम्पेक्ट

भाई कहां चले गये