Total Pageviews

Saturday, September 11, 2010

शिव का वास्तविक स्वरूप

शिव के बारे में अधिकतर लोंग अल्प या भ्रामक ज्ञान रखते है . यही कारण है की जब कोइ अन्य मजहब का व्यक्ति शिव के बारे में पूछता है तो हम न तो शिव जी  के बारे में ठीक बता पाते है और न ही उन कुतर्को को सही जवाब दे पाते है जो शिव और शिव लिंग के बारे में प्रचारित किये जा रहे  हैं . इस के लिए शिव का यथार्थ स्वरुप जानना आवश्यक है .
                                      शिव एक तत्व हैं .
शिव  तत्व से तात्पर्य  विध्वंस या क्रोध से है .दुर्गा शप्तशती के पाठ से पहले पढ़े जाने वाले मंत्रो में एक मन्त्र है 
'' ॐ क्लीं शिवतत्त्वं शोधयामी नमः स्वाहा ''
दुर्गा शप्तशती में आत्म तत्व ,विद्या तत्व के साथ साथ शिव तत्व का शोधन परम आवश्यक माना गया है इस के बिना ज्ञान प्राप्ति आसंभव है .जरा सोचिये अगर हम किसी बच्चे को क्रोध करने से बिलकुल ही रोक दे तो क्या उस का सर्वांगीर्ण विकास संभव है .बच्चे का जिज्ञासु स्वभाव मर जायेगा  और वो दब्बू हो जायेगा .
शिव तत्व विध्वंस का का प्रतीक है. सृजन और विध्वंस अनंत श्रंखला की कड़ियाँ है जो बारी बारी से घटित होती हैं .ज्ञान ,विज्ञानं ,अद्यात्मिक , भौतिक, जीवन के किसी भी  छेत्र में  यह  सत्य है .
ब्रह्मांड की बिग बैंग थेओरी  इस  बात को प्रमाणित करती है . ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति एक महा विस्फोट के बाद हुई .. विस्फोट से स्रजन हुआ न की विनाश .
ऋषि मुनियों ने अनेक चमत्कारिक  खोजे की है पर शिव तत्व की खोज अदभुद थी जो ब्रह्माण्ड के सारे रहस्य खोलते हुए जीवन मरण के चक्र से मुक्त करती थी .शिव का  महत्त्व  इतना है की वे सब से ज्यादा पूज्य है .इसी लिए कहा गया है की 
सत्यम शिवम् सुन्दरम 
                               अर्थात 
शिव ही सत्य है 
सत्य ही शिव है 
शिव ही सुन्दर है    
.                                         शिव और शक्ति 
शिव और शक्ति मिल कर ब्रम्हांड का निर्माण करते है .इस श्रसटी में कुछ भी एकल नही है अच्छाई है तो बुराई है ,प्रेम है तो घ्राण भी है .यदि एक सिरा है तो दूसरा शिरा भी होगा .एक बिंदु के भी दो सिरे होते है .
जिस वक्त सिर्फ १ होगा उसी  वक्त    मुक्ति हो जाएगी क्यों की कोइ भी वास्तु अकेले नही होती है अर्थात दोनों एक साथ मिलने पर ही मुक्ति संभव है .
एक परमाणु पर कोइ आवेश नही होता है पर जब उस से एक इलेक्ट्रान निकल जाता है तो उस पर उतना ही धन  आवेश आ जाता है जितना की इलेक्ट्रान पर ऋण आवेश . इस प्रकार आयन (इलेक्ट्रान निकलने के बाद परमाणु आयन कहलाता है ) और इलेक्ट्रान दोनों ही तब तक क्रियाशील रहते है जब तक वे फिर से न मिल जाये .
ब्रह्माण्ड में दो ही चीजे है , ऊर्जा और प्रदार्थ 
हमारा शरीर प्रदार्थ से निर्मित है और आत्मा  ऊर्जा है . बिना एक के  दूसरा अपनी अभिवयक्ति नही कर सकता . दया ,छमा, प्रेम आदि सारे गुण तो आत्मा रुपी दर्पण में ही प्रतिबिंबित होते है .
शिव प्रदार्थ और शक्ति ऊर्जा का प्रतीक है . दुर्गा जी 9  रूप है जो किसी न किसी भाव का प्रतिनिधित्व करते है .
अब जरा आईसटीन का सूत्र देखिये जिस के आधार पर आटोहान ने परमाणु बम बना कर  परमाणु के अन्दर छिपी अनंत ऊर्जा की एक झलक दिखाई  जो कितनी विध्वंसक थी सब  जानते है.
                                                          e / c =  m c 
इस के अनुसार  पदार्थ को पूर्णतयः ऊर्जा में बदला जा सकता है  अर्थात दो नही एक ही है  पर वो दो हो कर स्रसटी  का निर्माण करता है  .
ऋषियो ने  ये रहस्य हजारो साल पहले ही ख़ोज लिया था.  
 भगवान अर्ध नारीश्वर इस का प्रमाण है .
                          शिवलिंग क्या है ?
राम चरित्र मानस में शिव की स्तुति  की ये लाइन देखिये 
'' अखंडम अजन्म भानु कोटि प्रकाशम् ''
अर्थात जो अजन्मा है अखंड है  और कोटि कोटि सूर्यो के प्रकाश के सामान है .जिस का जन्म ही नही हुआ उस का फिर उस के लिंग से क्या तात्पर्य है .
ब्रह्म - अंड,
अर्थात ब्रह्माण्ड अंडे जैसे आकर का है .
शिवलिंग ब्रह्माण्ड का प्रतीक है . 
पूजा से हमें शक्ति मिलती है .शिवलिंग की पूजा शिव -शक्ति के मिलन  का प्रतीक है जो हमें सांसारिक बन्धनों से मुक्त करती है .
इन रहस्यों को जो जानता  है वो शिव भक्ति से सराबोर हो जाता है फिर वो किसी भी मजहब  का हो ..शिव जी के अनेक मुस्लिम भक्त भी है .

        

               
 
  

10 comments:

ANKIT said...

om bolenath ki jay ho

ANKIT said...

अजमेर और हैदराबाद में 2007 में हुए बम धमाकों के सिलसिले में मध्य प्रदेश से संघ के एक कार्यकर्ता देवेंद्र गुप्ता की गिरफ्तारी के बाद से कथित हिंदू आतंकवाद चर्चा में है। हाल ही में गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने इसका उल्लेख किया और एक नई बहस इस पर चल पड़ी है। हिंदू या भगवा आतंकवाद और इसके संघ से रिश्ते पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के जाने-पहचाने चेहरे और इसकी राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य राम माधव से रूबरू हुए निर्मल पाठक

भगवा आतंकवाद संबंधी गृह मंत्री की टिप्पणी के बाद कांग्रेस ने कहा है कि आतंकवाद का कोई रंग नहीं होता।
कुछ लोग राजनीतिक मकसद के तहत भगवा या हिंदू शब्द को आतंकवाद से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। वास्तव में इस प्रकार का कोई आतंकवाद है ही नहीं। हम यह मान सकते हैं कि शायद आतंकवाद का कोई रंग नहीं होता, पर इसे जिहाद भी न कहो यह तर्क हमें स्वीकार्य नहीं है। आतंकवाद के रूप में जिहाद एक सिद्धांत है। माओवाद भी इसी तरह का एक सिद्धांत है। भगवा या हिंदू के साथ ऐसा कोई सिद्धांत नहीं है।

अगर भगवा आतंकवाद नहीं कहा जाना चाहिए तो इस्लामिक आतंकवाद भी नहीं कहना चाहिए?
हम कहें या न कहें, पर सच्चाई यह है कि दुनिया भर में तो कहा ही जा रहा है। मुस्लिम सुधारक भी इसे यही कह रहे हैं। भारत सहित पूरी दुनिया इससे पीड़ित है। हमारे यहां कुछ लोग इससे निपट पाने में अपनी विफलता छुपाने के लिए भगवा या हिंदू आतंकवाद का जुमला उछाल रहे हैं, जिसका अस्तित्व ही नहीं है। जैसा मैंने कहा, हिंदू समाज में न तो आतंक को लेकर कोई सिद्धांत है और न कोई फेनोमिना है।

संघ की अपनी एक छवि है। उसके कार्यकर्ताओं के आतंकवादी गतिविधियों में पकड़े जाने से क्या इस छवि पर असर पड़ा है? क्या आप चिंतित हैं?
बिल्कुल नहीं। एक डेढ़ साल के एक कालखंड में एक दो घटनाओं को हिंदुओं के साथ जोड़ा जा रहा है। चिंता वाली कोई बात ही नहीं है। 2007-2008 में कुछ लोग पकड़े गए जिसमें से एक दो संघ से संबंधित निकले। हम इसे बिल्कुल भी महत्व नहीं दे रहे। संघ गांव-गांव में काम कर रहा है। संघ की कार्यप्रणाली से लोग अच्छी तरह वाकिफ हैं। संघ न तो हिंसा में विश्वास करता है और न प्रोत्साहन देता है। हम चाहते हैं जो घटनायें सामने आई हैं, उनकी ठीक से जांच हो।

क्या देवेंद्र गुप्ता की गिरफ्तारी ने संघ को परेशानी में डाला है?
यह सही है देवेंद्र गुप्ता संघ का विभाग प्रचारक था और उसकी गिरफ्तारी दुर्भाग्यपूर्ण है। लेकिन उस पर आरोप क्या हैं? पुलिस का कहना है कि गुप्ता ने सुनील जोशी की मदद की जो हिंसा की गतिविधियों में शामिल था। ऐसे आदमी की मदद जो अब दुनिया में नहीं है। गुप्ता पर परोक्ष रूप से हिंसा में शामिल होने का आरोप है। अभी यह साबित नहीं हुआ है। हम कह रहे हैं कि जांच होनी चाहि

ANKIT said...

हम नहीं मानते हिंदू समाज में ऐसा कोई तबका है। हिंदू शांतिप्रिय समाज है। मैं फिर कहना चाहूंगा कि हिंदुओं को इस तरह की घटनाओं से जोड़ने के पीछे कौन है इसका पता लगाया जाना चाहिए। कुछ विशेषज्ञों ने सुरक्षा तंत्र में नौकरशाही को इसके पीछे माना है। जिन घटनाओं को हिंदू आतंकवाद से जोड़ कर देखा जा रहा है उनके केंद्र में फौज का एक अफसर और एक सेवानिवृत्त अफसर भी था। इसलिए मैं कह रहा हूं कि इन घटनाओं के पीछे मास्टरमाइंड कौन है, यह पता करने की जरूरत है।

ANKIT said...

कुछ लोग राजनीतिक मकसद के तहत भगवा या हिंदू शब्द को आतंकवाद से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। वास्तव में इस प्रकार का कोई आतंकवाद है ही नहीं। हम यह मान सकते हैं कि शायद आतंकवाद का कोई रंग नहीं होता, पर इसे जिहाद भी न कहो यह तर्क हमें स्वीकार्य नहीं है। आतंकवाद के रूप में जिहाद एक सिद्धांत है। माओवाद भी इसी तरह का एक सिद्धांत है। भगवा या हिंदू के साथ ऐसा कोई सिद्धांत नहीं है

ANKIT said...

हम कहें या न कहें, पर सच्चाई यह है कि दुनिया भर में तो कहा ही जा रहा है। मुस्लिम सुधारक भी इसे यही कह रहे हैं। भारत सहित पूरी दुनिया इससे पीड़ित है। हमारे यहां कुछ लोग इससे निपट पाने में अपनी विफलता छुपाने के लिए भगवा या हिंदू आतंकवाद का जुमला उछाल रहे हैं, जिसका अस्तित्व ही नहीं है। जैसा मैंने कहा, हिंदू समाज में न तो आतंक को लेकर कोई सिद्धांत है और न कोई फेनोमिना है

Shah Nawaz said...

शिव स्वरूप पर महत्वपूर्ण दी है आपने.

Shah Nawaz said...
This comment has been removed by the author.
Shah Nawaz said...

अभिषेक जी आपने मेरे जिस व्यंग्य पर अपनी टिपण्णी दी थी, वह तकनिकी कारणों से डिलीट हो गया है, आपसे अनुरोध है की मेरे ब्लॉग छोटी बात पर फिर से अपनी बहुमूल्य राय दीजिये.

Anonymous said...

jitne bhi sant huye sabhi ne shiv roopak permatma ki pooja ki hai
ram ho ya krishan ,shankrachaye ho ya vivkanad sabhi ne shiv ki aaradhna se saflta paayi hai

Rohit Singh said...

जय बाबा भोले भंडारी की।
आप लिखते रहें। आपके विचारों से सहमत हूं। कुछ पुरानी पोस्ट भी पढ़ी। कुमार मेडिकोज की बातो से पूरी तरह से सहमत।