Total Pageviews

Friday, October 16, 2015

पंचम विमा भाग-2

पंचम विमा की परिकल्पना पिछले लेख मे चर्चा की गई।
इस को समझने के लिए एक उद्दाहरण आप महाभारत से ले सकते है। भीष्म पितामह ने बाणो की सैय्या पर ही एक एक कर के अपने 100 जन्म देख लिए। पर वो कौन सा पाप था जिस के कारण वो इस हाल मे थे न खोज पाए।
अन्त उनहो ने भगवान श्री कृष्ण जी से प्रार्थना की तब भगवन ने उन को एक सौ एकवां जन्म दिखाया जहां उन से गलती हुई।
भीष्म पितामह चौथी विमा को जानते थे अतः वो अपने 100 जन्म देख  लेते है। पर एक एक कर के। अर्थात् वो समय रूपी झरने मे एक बार मे एक ही जगह देख सकते थे।
पर भगवान श्री कृष्ण एक साथ आगे पीछे उन के हजारो जन्म देख सकते थे। अर्थात समय के उस कालखन्ड से समय को अनन्त से अनन्त तक देख सकते थे।
वह पहली घटना जिस से समय बना। और वो आखिरी घटना जब समय नही होगा। समय घटनाओ के  सापेक्ष होता है।
यही अन्तर एक को सिर्फ महापुरूष और दूसरो को भगवान बनाता है।
यही वह रहस्य है जिस से आज भी देवता हमारी सहायता कर सकते है । यदि हम उन से जुड सके तो।
जुडना भी उन की ईच्छा है।वो कार्य कारण श्रंखला मे आप को देख सकते है।
उसी कालखन्ड से प्रभु श्री राम और कृष्ण हमारी सहायता कर देते है।

1 comment:

Anonymous said...

Hi! I simply wish to give you a huge thumbs up
for the great information you have here on this post.
I am coming back to your website for more soon.

Look into my webpage: real estate